हरड़ और उसके सौ उपयोग भाग - १०

उपदंश (आतशक, गर्मी) :- 

  • छोटी हरड़ ४ तोला, निलोथोथा ३ माशा, दोनों का चूर्ण नींबू के रस में ७ दिन खरल कर चने बराबर गोली बनाकर नित्य १ गोली ठन्डे जल के साथ खाने और पथ्य में चावल का भात, गेहूं की रोटी, मूंग की दाल और गोघृत लेने से उपदंश २१ दिन में नष्ट हो जाता है
  • नीम की पत्तियों का चूर्ण १६९ भाग, हरड़ चूर्ण २ भाग, आंवला चूर्ण २ भाग, हल्दी चूर्ण १ भाग मिश्रित कर नित्य ३ माशे जल के साथ खाने से भीतर-बाहर का उपदंश नष्ट होता है
  • त्रिफला के क्वाथ में उपदंश व्रण धोना बहुत हितकर है
  • हरड़, रसौत, सिरस छाल तीनो समान भाग ले चूर्ण कर शहद में मिलाकर लेप करने से लिंग में जो उपद्रवयुक्त उपदंश के घाव होते है, वे शीघ्र ही अच्छे हो जाते है
  • त्रिफला को कड़ाही में डालकर भस्म कर लो. इस भस्म में सेंधा नमक और शहद मिलाकर लेप करने से तीन-चार दिन में उपदंश के बड़े से बड़े घाव ठीक हो जाते है. उत्तम गुणकारी मलहम है


अण्डकोष शोथ :-

  • त्रिफला क्वाथ में गोमूत्र मिलाकर पीने से वातकफ जन्य अण्डकोष की सुजन दूर होती है
  • हरड़ की छाल, चिरायता, धनिया ६-६ माशा, लौंग ९ माशा, स्वर्ण माक्षिक १ तोला, इन सबके समान मिश्री और मिश्री बराबर शहद, इस सबको ५ दिन खरल कर रख लो, इसे नित्य १ तोले की मात्रा में खाने से अण्डकोष अवश्य दूर होती है


नारी रोग

रक्त प्रदर :-

  • काला सुरमा को त्रिफला के क्वाथ २४ घंटे तक स्वेदन करने से अंजन शुद्ध हो जाता है. फिर अंजन को नींबू के स्वरस में खरल क्र लें, शुद्ध अंजन चूर्ण के बराबर हरड़ तथा आंवले का चूर्ण अलग-अलग लेकर खरल कर लें. फिर सबको लसोडे के पत्तों के रस या काढ़े में १२ घंटे खरल कर २-२ रत्ती की गोलियां बना लें. दिन में तीन बार २-२ गोली चावल के धोवन या ठन्डे जल के साथ लेने से रक्त प्रदर के तीव्र रक्त स्त्राव में भी शीघ्र ही लाभ होता है

रक्त गुल्म :-

  • हरड़ और एरंड की जड़ की छाल ६-६ माशे, सेंधा नमक और यवक्षार ३-३ ग्राम, सबका विधिवत क्वाथ बनाकर नित्य सुबह-शाम पीने से कुछ दिनों में रक्त गुल्म नष्ट हो जाता है
  • हरड़, काला नमक, यवक्षार समभाग पीसकर इसमें तीन माशा चूर्ण लेकर १ तोला घी और ६ माशे लहसुन का रस मिलाकर नित्य कुछ दिन सेवन करने से रक्त गुल्म नष्ट हो जाता है

योनि भ्रंश :-

  • अकाल गर्भपात या बैढंगे तौर पर मैथुन करने पर योनि बहार निकल आती है, तो उसे योनिभ्रंश कहते है. हरड़ का बक्कल, जायफल, सफ़ेद कत्था सुपारी, नीम की सुखी छाल, मुंग का बेसन, सबको कूट-पीस कर चूर्ण बना लें. करीब २ तोला चूर्ण स्वच्छ महीन कपड़े की पोटली संध्या और संध्या की प्रातः बदल दें. २१ दिन के निरंतर प्रयोग से योनि भ्रंश और योनिस्त्राव मिट जाएगा. यदि केवल जल का स्त्राव हो तो ५ दिन में ही लाभ हो जाता है

योनिकंडू :- 
  • त्रिफला और गिलोय के काढ़े से योनि-प्रक्षालन करने से योनि की खुजली मिट जाती है
  • हरड़, नीम की निबौलियाँ और हल्दी को कूट-पीसकर नीम की पत्तियों के रस में खरल कर चने के बराबर गोलियां बनाकर प्रात: दोपहर और शाम को एक-एक गोली गरम जल के साथ खाने से योनि की खुजली मिट जाती है
भग-संकोचन :-
  • बड़ी हरड़ की मींगी और माजूफल समान भाग ले, खूब महीन पीसकर शीशी में रख लें. सम्भोग से १५-२० मिनट पूर्व १ माशा पाउडर योनि के भीतर मल दन से स्त्री की योनि कुमारी षोडशी बाला के समान दृढ और संकीर्ण हो जाती है
  • हरड़, जायफल, कत्था, नीम की पत्तियां और सुपारी का महीन चूर्ण मुंग के युष में पीसकर कपड़े से छानकर सुखाकर रख लो. यह चूर्ण योनि में रखने से योनि संकीर्ण होती है और जल स्त्राव बंद होता है



बाल रोग

बालातिसार :-
  • काबुली हरड़ का छिलका और बेल की गिरी दोनों को समान भाग लें कूट-पीस कपड़छान चूर्ण बना लें, अयुर्बलानुसार १ से ३ माशे की मात्रा में माँ के दूध या जल के साथ देने से बालक के हरे पीले पतले दस्त बंद होते है
  • पिली हरड़ और बड़ी सुपारी समान भाग का महीन चूर्ण २ से ४ रत्ती तक माँ के दूध या थोड़े जल में घोल कर पिलाने से बदहजमी दूर होती है, पाचन क्रिया ठीक होती है और बिगड़े पतले दस्त होना बंद हो जाते है
  • शिशुमातृका बटी - बड़ी हरड़, छोटी हरड़, अजवायन, वायवीडिंग, भुना सुहागा, काला नमक, भुनी हिंग, सब समभाग ले कूट-पीस कपड़छान कर जल के सयोंग से २-२ रत्ती की गोलियां बना लो, १ से २ गोली माँ के दूध या जल के साथ देने से बच्चे का अतिसार, आमातिसार, विबंध, उदर शूल, अफरा आदी उदर विकार दूर होते है

ज्वर :-
  • हरड़, नागरमोथा, नीम की छाल, कड़वे परवल के पत्ते, मुलहटी, सबका सम्मिलित जौकुट चूर्ण ६ माशे १ छ्टांग पानी में पकाकर तोला सवा तोला रह जाने पार बच्चे को पिलाने से सब प्रकार के ज्वर दूर हो जाते है

श्वाश-कास :-
  • हरड़ की छाल, दाख, अडूसा और पीपल का चूर्ण मधु या मधु और घृत के साथ चाटने से बच्चे की खांसी और श्वास नष्ट होते है

बाल शोष (सुखंडी या सुखा रोग) :-
  • हरड़ २ भाग, पीपल की जटा १ भाग, दोनों को कूट-पीस कपड़छान कर सुरक्षित रख लें. १-२ रत्ती दवा माता के दूध के साथ प्रातः सायं देने सें बच्चो का सुखा रोग अच्छा हो जाता है

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