आँवले के विभिन्न उपयोग भाग - १

आयुर्वेद में आँवला को 'अमृत फल' कहा गया है और इसे रसायन की श्रेणी में रखा गया है | रसायन उस गुणकारी द्रव्य को कहते है, जो सभी काल में सभी जगह और प्राणी-मात्र के लिए, आजीवन लाभदायक सिद्ध हो, तथा जो शरीर के प्रत्येक अंग को नव शक्ति प्रदान करता हो.| समस्त रोगों को दूर करने की शक्ति रखता हो, साथ ही उत्तम एवं सुदृढ़ स्वास्थ्य, लम्बी आयु प्रदान करने की क्षमता रखता हो | कहना न होगा की आँवला में उपयुक्त सारे गुण पर्याप्त मात्रा में विधमान होते है, इसलिये इस फल को अमृत फल की संज्ञा देना अथवा रसायन कहना सार्थक और बिलकुल ठीक है |

आँवला
आँवला

उदर (Abdomen) रोग

कब्ज (Costiveness) :- 

  • आँवले का चूर्ण ४० से ६० ग्राम की मात्रा में रोज रात को सोते समय पानी से साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में कठिन से कठिन कब्ज दूर हो जाता है| 
  • रात को सोते समय दो या तीन माशा सूखे आंवलों का चूर्ण दूध के साथ लेने से प्रात:काल पेट साफ़ हो जाता है |
  • दो यया तीन माशा सूखे आँवला को रात भर पानी में भिगोकर सुबह उठते ही उन्हें मसल कर उनका पानी निचोड़ लें, और मधु मिलाकर सेवन करें तो कब्ज से छुटकारा मिले |
  • आँवला ४ ग्राम, हरड़ ४ ग्राम, रेवंद चीनी १ ग्राम लेकर एक पाउंड पानी में काढ़ा बनाये | दो औंस की मात्रा में यह काढ़ा दिन में तीन बार सुबह, दोपहर, शाम को पीवें तो दस्त साफ होकर कब्ज दूर हो जाता है, साथ ही पेशाब भी खुलकर आने लगता है |
  • एक आँवला और एक छुहारा रात में एक छ्टांग पानी में भीगो दें सबेरे मसलकर छान लें और दिन में २-३ बार २-२ चम्मच की मात्रा से पीवें तो शौच खुलकर हो जाता है |


मन्दाग्नि (Dyspepsia) :-

  • आँवले के चूर्ण को पानी, घी या शहद के अनुपान से रात्री में सेवन करने से मंदाग्नि में लाभ होता है |
  • सूखे आँवलों का चूर्ण, सेंधा नमक को जल के साथ सेवन करने से मंदाग्नि ठीक हो जाती है | 

बवासीर (Hemorrhoids) :-
  • आँवला का चूर्ण लगभग ६० ग्राम फांक कर ताजा मट्ठा पीने से बवासीर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है |
  • ताजे आँवले की चटनी अथवा कच्चे आँवला को भूनकर नियमित रूप से खाने से बवासीर में लाभ होता है |
  • आँवले के चूर्ण को दही की मलाई के साथ सेवन करने से बवासीर से मस्सों से रक्त जाना बंद हो जाता है |

भूख न लगना:-

  • आँवले का ताजा रस सेवन करने से या सूखे आँवला के चूर्ण को पानी के साथ फांकने से भूख कड़ाके की लगने लगाती है |

पेचिश (Dysentery) :-
  • १ से ३ ग्राम ड्राम की मात्रा में आँवले का रस दिन में तीन बार पीने से पेचिश अच्छी हो जाती है |

रक्तातिसार (Hemorrhage) :-
  • ताजे आँवलों के रस में शहद, घी और दूध मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार दूर होता है |

दस्त (Diarrhea) :-
  • माशा भुनी आँवला की कोमल पत्तियों को भुनी मेथी के साथ पीसकर पीने से दस्त की बीमारी ठीक हो जाती है |

संग्रहणी (Diarrhea) :-

  • माशा आँवले का चूर्ण भोजन के बाद लेने से संग्रहणी अच्छी हो जाती है |

अतिसार (Diarrhoea):-

  • ताजे आँवलों को पीस और पानी में घोल-छानकर उसमें अंगूर का रस व शहद मिलाकर शर्बत बनावें | यह शर्बत ज्वर विशेष और अतिसार रोग में उपकारी सिद्ध होता है, यह प्यास को भी दूर करता है |
  • आँवले के बीज दो भाग, चित्रक की जड़ एक भाग, हरड़, पीपल और काला नमक आधा-आधा भाग, इन सबका मिश्रित चूर्ण बनालें | अवस्थानुसार उचित मात्रा में गुनगुने जल से प्रातः सायं  सेवन कराने से बालकों का अतिसार अच्छा होता जाता है |

पित्तजन्य मतली या कै (Vomiting):-

  • आँवले के रस में शहद मिलाकर रोगी को चटाने से पित्त-प्रकोप के कारण मतली या कै की प्रवृति होती हो तो वह शांत हो जायेगी |

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