आँवले के विभिन्न उपयोग भाग - ३

 शुक्रमेह :-

  • आंवलें के एक तोला रस में शहद मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से शुक्रमेह ठीक हो जाता है |


अत्यार्तव :-

  • आंवलें के कल्क ६ माशे और शहद तीन माशे एक में मिलाकर सायं-प्रात: सेवन करने से स्त्री के मासिक धर्म से अधिक्ल रक्त जाना ठीक हो जाता है |
  • २ तोले आंवलें के रस में १ माशा जीरे का चूर्ण ओर मिश्री मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने करें | ताजे आँवलों के अभाव इ सूखे आँवलों का चूर्ण २ तोला रोज रात को भिगो, प्रात:काल मलछान कर जीरा और मिश्री मिला सेवन करें |
  • आँवला एवं पका केला समभाग का २ तोला रस शक्कर मिलाकर २४ घंटे में ३-४ बार दें, इससें स्त्रियों का अत्यार्त्तव ठीक हो जाता है |

स्त्रियों के पेडू का दर्द :-

  • आँवले को पीसकर पेडू पर लेप करने से पेडू का दर्द और योनि शूल दोनों मिट जाते है |



सुजाक :-

  • आँवला पेड़ के छाल के रस में हल्दी और शहद मिलाकर खाने से सुजाक में लाभ होता है |
  • ताजे आँवले का केवल फल खान से सुजाक ठीक हो जाता है |
  • आधी छटांक सूखे आँवलों को रात भर एक पाव पानी में भिगो रखें | सुबह को पानी निथार लें, और उसमें शहद मिलाकर पीयें तो सुजाक जाय |
  • थोड़ी किशमिश रात भर पानी में भिगो रखें, सुबह उन्हें हाथ से मसलकर और उसमें आँवलों का रस और शहद मिलाकर प्रति-दिन तीन बार १-१ गिलास पीयें तो सुजाक अच्छा हो |


वीर्य-विकार और विर्याकल्पता :-

  • आँवलों का रस मधु डालकर नित्य प्रति चाटने से वीर्य-विकार दूर होकर वीर्य की वृद्धि होती है |


स्वप्न दोष :-

  • आंवलें के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण और इसबगोल की भूसी को खरल करें और बेर के बराबर गोलियां बना लें और रोज प्रातः सायं एक गोली गाय के दूध के साथ लें तो स्वप्न दोष से छुटकारा मिलें |
  • आंवलें के चूर्ण को १०० बार आंवलें के रस से भावना दें, फिर चूर्ण के बराबर मिश्री मिला कर सुबह-शाम १ तोला की मात्रा से दूध या पानी के साथ लें | यह चरक का नुस्खा है | यह प्रयोग स्वप्नदोष, शीघ्र-पतन तथा धातु-स्त्राव सबके लिए अमोघ है |
  • सूखे आंवले के चूर्ण को १ तोला रोज गाय एक दूध के साथ खाने से मर्द का वीर्य अधिक शक्तिशाली बनता है | शरीर में शक्ति अआती है, रक्त शुद्ध होता है, तथा सभी वीर्य-विकारों, जैसे स्वप्नदोष, शीघ्रपतन आदि का शमन होता है |


प्रमेह :-

  • पाव भर ताजे आँवलों के रस में महेंदी के पत्तों का रस मिलाकर पिलाने से प्रमेह रोग में लाभ होता है |
  • शहद और ताजे आंवलें का रस समभाग मिलाकर पीने से प्रमेह रोग मिटता है |


हर प्रकार का प्रमेह :-

  • ताजे आँवलों के एक तोला रस को मट्ठा या शहद में मिलाकर रोज प्रात:काल सेवन करने से हार प्रकार का अप्र्मेह ठीक हो जाता है |


योनि में जलन :-

  • आंवलें के ताजे रस में मधु मिलाकर पिलाने से योनि की जलन शीघ्र शांत हो जाती है |


नेत्र रोग 


नेत्र में जालन :-

  • सूखे आँवलों और तिल को एक साथ भिगोकर और पीसकर प्रात:काल आँखों में लगाने से और उसके बाद स्नान क्र लेने से नेत्र की जलन मिट जाती है, साथ-साथ उसकी ज्योति भी बढ़ जाती है |


तिमिर और दृष्टि-क्षीणता :-


  • आँवलों का पानी नेत्रों की ज्योति बढाने के लिये एक ही दवा है | पानी नेत्रों की ज्योति बढाने के लिए एक ही दवा है | शाम को पाव भर पानी में छ: माशे सुखा आँवला भिजो दें | सुबह उठते ही उस पानी से नेत्रों को धोयें, दृष्टि-क्षीणता दूर होकर आंखों की ज्योति तीव्र होती है | आँखें धोने की शीशे की कटोरी आती है | उस कटोरी में आँवला जल भरकर आखों में धोना ठीक रहता है | 
  • आँवला, हरड़ और बहेड़ा समभाग लेकर उनका चूर्ण तैयार करें | इस चूर्ण को ४० से ६० ग्राम की मात्रा में घी के साथ रोज प्रात: सेवन करें | इससें नेत्र-ज्योति बढेगी | उनमें शीतलता और मिर्मलता आएगी , तथा पुरते शरीर में शक्ति, कांति और ओज की वृद्धि होगी |
  • आंवलें के चूर्ण को पानी, घी या शहद के अनुपान से रात्री में सेवन करने से आखों की ज्योति आयु पर्यन्त एक सी बनी रहती है |


आखों की लाली और रोहे :-

  • आँवला का बीज एक भाग, हरड़ की गुठली की गिरी ३ भाग, बहेड़ा की मींगी २ भाग लेकर एक साथ पीस लें और बत्ती जैसे बनाकर रख लें | इस बत्ती को घिसकर अंजन लरने से आखों की लाली और रोहे अआदी तक ठीक हो जाते है |


मोतियाबिन्द :-

  • आंवलें  का ताजा रस अआधा से एक औंश तक रोज प्रात:काल शहद के साथ चाटने तथा आंखों को सूखे आँवले तथा त्रिफला के पानी से धोने से मोतियाबिंद रोग धीरे-धीरे ठीक हो जाता है |


आंख की फूली :-

  • जौकुट किया ह़ा आँवला ७ माशा लेकर १० तोले ताजे जल में भिगो दें | २-३ घंटे बाद चूर्ण को भिगों दें और ३ घंटे बाद निचोड़ कर छान लें | इसी प्रकार ३ या ४ बार करें | तत्पश्चात उस जल की बूंदों को दिन में ४ बार आंख में तप्काएं | कुछ दिनों तक ऐसा करने से अवश्य लाभ होगा |


नेत्र के अन्य रोग :-

  • प्रतिदिन प्रात:काल नेत्रों को त्रिफला के पानी सेन धोने तथा सयंम से रह कर प्रतिदिन सायंकाल त्रिफला चूर्ण को घी या शहद के साथ सेवन करने से सारे नेत्र-विकार दूर हो जाते है |
  • आँवला वृक्ष पर लगे पूर्ण पके आँवले को सुई सेन चीर दें | ऐसा करने से उसमें से रस टपकने लगेगा | उस रस को नेत्रों में टपकायें तो कुछ दिनों में आखों के सब प्रकार के रोग दूर हो कर आँखें निर्मल हो जाती है, वह मोतियाबिंद तक ठीक हो जाता है |

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