लहसुन और उसके चिकित्सय उपयोग भाग - ८

आधे अंग का पक्षाघात - दो कली कच्चा लहसुन चबाकर खा जायें और ऊपर से गुनगुना दूध पीयें। दुसरे दिन कली चबायें। तीसरे दिन कली लेकर - को चबाते जायं और दूध पीते जायं इस तरह २१ कलियों तक बढायें साथ ही दूध की मात्रा भी बढ़ायें। तत्पश्चात कलियों और दूध को उपरोक्त रीति से ही घटायें और अंत में कली तक जायें, आधे अंग का पक्षाघात ठीक हो जायगा। यदि कुछ कसर रह जाये तो पुरे प्रयोग को एक बार पुन: दोहरावें।

घोर वात रोग - डेढ़ माशा लहसुन की चटनी, माशा मक्खन, तथा आध पाव दूध, तीनो को मिलाकर पीयें। या चटनी मक्खन मिलाकर चाटने के बाद दूध पीयें। धीरे-धीरे चटनी, मक्खन और दूध की मात्रा इसी विधि से बढ़ा बढ़ाकर लेते जायँ, और लहसुन की चटनी तोले, मक्खन तोले, और दूध डेढ़ सेर तक ले जायँ। बाद में इसी अनुपात से घटाते जायें और बंद क्र दें, घोर वात रोग नाश को प्राप्त हो जायगा।

सायटिका - १६ तोला लहसुन, एक सेर दूध और आठ सेर पानी को मिलाकर दूध मात्र बच रहने तक पकाएं और गुनगुना चुसकी लेकर पीयें तो सायटिका रोग दूर हों। इस योग से अन्य सभी वात-रोग भी दूर हो जाते है।

संधिवात - छिली हुई सेर लहसुन की कलियाँ लेकर गाय के सेर दूध में पकायें। जब दूध का भली-भांति मावा बन जाय, तब दो सेर देशी चीनी मिलाकर हलवा बनायें और इस हलुए को तोले की मात्रा से प्रतिदिन खाय तो कुछ ही दिनों में संधिवात से पूर्णरूपेण छुटकारा मिले।



लहसुन का अचार - आध सेर पुष्ट लहसुन की कलियों को छीलकर मर्तबान में रखें। ऊपर से बोतल सिरका और बड़ा चम्मच भर पिसा सेंधा नमक डालें। उसके बाद उसका मुहँ कपड़े से बांध दें। अब पाव अदरक छीलकर पतला पतला काटें और एक दिन धुप में रखकर उसका पानी सुखा लें। अब उस अदरक को भी अमृतवान में छोड़ दें। फिर अमृतवान को दिनों तक धुप में रखें। कभी-कभी धुप में रखें अमृतवान को हिला-दुला दिया करें ताकि उसमें रखी सब चीजों में धुप लगती रहे। दसवें दिन उस अमृतवान को खूब हिला लें ताकि सब चीजें अच्छी तरह मिल जायं। सिरका अमृतवान में इतना होना चाहिए कि वह उसमें रखी सभी चीजों के ऊपर तक रहे। अमृतवान को रोज और यों ही रखा रहने दें। उसके बाद लहसुन के आचार को भोजन के काम में लावें। यह आचार हिला-हिलाकर रखने से वषों तक नहीं बिगड़ता।

आम का लहसुनियाँ अचार - १०० कच्चे, गोले, जालीदार आम, २० आम भर नमक, एक पाव पीसी हल्दी, आध पाव पीसी सौंफ, एक छ्टांग पिसी मैथी, आधी छटांग कलौंजी समूची, अंदाज से पीसी लाल मिर्च तथा आध सेर बिना पानी डाले महीन पिसा लहसुन लेकर पहले आमों को बिना छिले हुए - टुकड़े कर लें। गुठलियाँ निकाल दें। फिर उन्हें एक बर्तन में नमक और हल्दी में बोर-बोर क्र रखें। जब सब टुकड़े नमक और हल्दी में सन जावें तो उन्हें एक घड़े में भर कर रख दें और - दिन यों ही पड़ा रहने दें और घड़े को रोज हिला दिया करें ताकि नीचे के टुकड़े सड़ने पावें। जब पानी छूटने लगे तब टुकड़ों को निकालकर एक छिछले बर्तन में रखें तथा बचा हुआ हल्दी-नमक मिला दें। फिर वही छूटा हुआ पानी छीटे दे देकर  उन टुकड़ो में जज्ब कर दें। तत्पश्चात उपर्युक्त मसाला और पिसा लहसुन मिलाकर, साथ ही कड़ुवा तेल भी मिलाकर एक अमृतवान में रखें। मुहँ पर कपड़ा बांध क्र दो दिन धुप दिखावें। आम का लहसुनिया आचार तैयार हो जायेगा। यह आचार भी वर्षों रह सकता है।

लहसुन की चटनी - दो भाग लहसुन को एक भाग अदरक के साथ पीस लें और अंदाज से नमक मिला दें। तत्पश्चाद ऊपर से खट्टे अनारादानों का रस या कागजी नींबू का रस निचोड़ दें। और यदि इस चटनी को जरा और स्वादिष्ट एवं चटपटी बनाना चाहें तो दो-एक टुकड़े हरे मिर्च तथा थोड़ा सा भुना हुआ जीरा भी इसमें मिलाकर हल कार दें। चटपटी लहसुन की चटनी तैयार है।

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