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2035 तक जॉब्स मार्केट: एक अनुमानित तस्वीर

2035 तक जॉब्स मार्केट: एक अनुमानित तस्वीर

2035 तक कितना बदल जायेगा jobs Market

वैश्वीकरण, तकनीकी प्रगति जलवायु परिवर्तन जैसे कारकों ने रोजगार के क्षेत्र में पहले से ही व्यापक बदलाव ला दिए हैं। 2035 तक, ये बदलाव और भी तीव्र और व्यापक हो सकते हैं, जिससे कुछ नौकरियों पर गंभीर खतरा मँडरा सकता है जबकि नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। आइए, 2035 तक जॉब्स मार्केट में संभावित बदलावों और उन नौकरियों पर गौर करें जिन पर सबसे अधिक खतरा है:
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तकनीक का प्रभाव: सबसे बड़ा कारक
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन जैसे तकनीकी विकास 2035 तक रोजगार के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकते हैं। यह बदलाव दोहरी प्रकृति का होगा: कुछ नौकरियां खत्म होंगी, जबकि नए प्रकार की नौकरियां पैदा होंगी। अनेक दोहराव वाले, मानवीय प्रयासों पर आधारित कार्य आसानी से ऑटोमेटेड हो जाएंगे। इससे रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ श्रम लागत अधिक है।
खतरे में आने वाली नौकरियाँ:
कुछ नौकरियाँ तकनीकी प्रगति के कारण 2035 तक बहुत अधिक प्रभावित होंगी। इनमें शामिल हैं:
  • कैशियर, टेलर, और अन्य रिटेल कर्मचारी: स्व सेवा चेकआउट और ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन से इन नौकरियों की मांग कम हो सकती है।
  • डेटा एंट्री ऑपरेटर: ऑटोमेटेड डेटा एंट्री सिस्टम और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) तकनीक इन भूमिकाओं को अप्रचलित बना सकती हैं।
  • ट्रक ड्राइवर और डिलीवरी पर्सन: स्व ड्राइविंग वाहनों के विकास से इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है, हालांकि शुरुआती दौर में भी ट्रैफिक मैनेजमेंट और अन्य इंजीनियरिंग क्षेत्रों में नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं।
  • फैक्ट्री वर्कर (कुछ भूमिकाएँ): रोबोटिक्स और ऑटोमेशन से कई फैक्ट्री वर्करों की भूमिकाएँ ऑटोमेट हो सकती हैं, हालांकि ऐसे मशीनों के रखरखाव और संचालन में कुशल कार्यकर्ताओं की मांग बनी रहेगी।
  • कुछ प्रकार के ग्राहक सेवा प्रतिनिधि: चैटबॉट्स और AI संचालित वर्चुअल असिस्टेंट कई सरल ग्राहक सेवा प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं, जिससे मानव प्रतिनिधियों की आवश्यकता कम हो सकती है।
  • लेखपाल और डेटा एनालिटिक्स में कुछ भूमिकाएँ: AI आधारित टूल्स डेटा को बेहतर और तेज़ी से एनालाइज़ कर सकते हैं जिससे कुछ लेखा परीक्षा और डेटा एनालिटिक्स भूमिकाएँ प्रभावित हो सकती हैं।

नए अवसर:
हालाँकि, तकनीकी प्रगति से नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इनमें शामिल हैं:

  • AI और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ: इन विशेषज्ञों की मांग तेज़ी से बढ़ेगी क्योंकि कंपनियाँ अपने ऑपरेशन को ऑटोमेट करने और डेटा का विश्लेषण करने के लिए AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करना चाहेंगी।
  • रोबोटिक्स इंजीनियर और तकनीशियन: रोबोटिक्स के क्षेत्र में नए रोबोट्स के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के लिए कुशल पेशेवरों की ज़रूरत होगी।
  • डेटा साइंटिस्ट और डेटा एनालिटिक्स विशेषज्ञ: बढ़ते डेटा की मात्रा को समझने और उसका विश्लेषण करने के लिए इन विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी।
  • साइबरसिक्योरिटी विशेषज्ञ: जैसे जैसे हम अधिक तकनीक पर निर्भर होते जा रहे हैं, साइबर अपराध का खतरा भी बढ़ रहा है, जिससे साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मांग में भारी वृद्धि होगी।
  • ग्रीन जॉब्स: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, सतत कृषि और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में कई नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  • स्वास्थ्य सेवा में नई भूमिकाएँ: टेलीमेडिसिन, जीनोमिक्स और अन्य क्षेत्रों में नई तकनीकों से स्वास्थ्य सेवा में नए रोजगारों का सृजन होगा।
शिक्षा और कौशल विकास:
2035 तक के जॉब्स मार्केट में सफल होने के लिए निरंतर शिक्षा और कौशल विकास अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। कर्मचारियों को अपने कौशल को अपडेट रखने और नई तकनीकों में निपुण होने की आवश्यकता होगी। सरकारों और निजी क्षेत्रों को कर्मचारियों को नए कौशल सिखाने और उन्हें नए रोजगार के अवसरों के लिए तैयार करने के लिए कार्यक्रमों में निवेश करना होगा।
निष्कर्ष:
2035 तक जॉब्स मार्केट में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। कुछ नौकरियाँ ऑटोमेशन के कारण गायब हो सकती हैं, जबकि नए तकनीकी क्षेत्रों में कई नए अवसर पैदा होंगे। भविष्य के श्रम बाजार में सफलता के लिए अनुकूलनशीलता, निरंतर सीखने की इच्छा और नए कौशल हासिल करने की क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण होंगी। शिक्षा प्रणाली और नीति निर्माताओं को इस परिवर्तन के लिए तैयार रहने और कर्मचारियों को आवश्यक कौशल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि वे 2035 के बदलते जॉब्स मार्केट में सफलतापूर्वक अपनी जगह बना सकें। इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा जाल को मज़बूत करने की भी ज़रूरत होगी ताकि ऑटोमेशन से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को नया काम खोजने में मदद मिल सके।

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