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हरड़ और उसके सौ उपयोग भाग - 01

हरड़ और उसके सौ उपयोग भाग - 01

हरड़ के सौ उपयोग भाग 01 (Hundred Uses of Myrobalan Part 01)

रोगों की उत्पति का कारण वात, पित्त, कफ दोषों में किसी एक का, दो या तीनों का प्रकोप और शरीर में दूषित मलों विजातीय पदार्थों का संचयन है. अपने अनुलोमन गुणों के कारण हरड़ दूषित मलों को निकाल कर शरीर को स्वस्थ रखती है, जैसा की आयुर्वेद का कथन है जो औषधि मल वातादि दोषों के कोप को शांत क्र परस्पर बद्द अथवा अबद्द मलों को पृथक पृथक कर निचे गिराये अथवा वात, मूत्र, मल का बंध अर्थात बद्द कोष्ठ को स्वच्छ करमलादिकों को निचे ले जाकर गुदा द्वारा निकाले, अनुलोमन कहते है यथा हरड़

हरड़ के कुछ विशिष्ट योग (Some Special Remedies of Myrobalan)
हरीतकी रसायन
  • रसायन के गुणों की इच्छा करने वाले को हरड़ को वर्षा ऋतु में सेंधा नमक के साथ, शहद के साथ, शरद ऋतु में खांड के साथ, हेमंत ऋतु में सौंठ के साथ, शिशिर ऋतु में पीपल के साथ, बसंत ऋतु में शहद के साथ और ग्रीष्म ऋतु में गुड़ के साथ सेवन करना चाहिये.
  • भोजन के पूर्व बेहरा का चूर्ण, भोजन करने के बाद आंवले का चूर्ण और भोजन के पच जाने पर हरड़ का चूर्ण मधु और घृत के साथ निरंतर एक वर्ष तक खाने से रसायन गुणों की प्राप्ति होती है, 

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उदर विकार (Abdominal disorder)
अजीर्ण मन्दाग्निन: (Indigestion Mandagnin)
  • ऐसी नई, चिकनी और वजनी हरड़ जो एक तोले से अधिक वजन की हों और जल में डालने से डूब जाएँ, चूर्ण बनाकर रख लें, १ माशा चूर्ण २ माशे गुड़ में मिलाकर भोजन के पश्चात् नित्य नियमपूर्वक खाने से भोजन का उत्तम परिपाक होता और मंदागिन नष्ट हो जताई है
  • हरड़ के बक्कल और सौंठ का समभाग चूर्ण ३ से ६ माशे की मात्रा में एक तोला गुड़ में मिलाकर शीतल जल के साथ नित्य खाने से अजीर्ण मन्दाग्नि दूर होकर क्षुधा वृद्धि होती है
  • हरड़ के बक्कल का चूर्ण और सेंधा नमक का नित्य सेवन करने से अजीर्ण मन्दाग्नि नष्ट होकर भूख बढाती है
  • हरड़, दाख और मिश्री समान पिस कर शहद के साथ २-२ माशे की गोलियां बना लो, नित्य १-२ गोली पानी के साथ लेने सेस अजीर्ण दूर हो जाता है 
  • हिंग भुनी १ भाग, बच २ भाग, पीपल ३ भाग, अदरख ४ भाग, अजवायन ५ भाग, हरड़ ६ भाग, चित्रक ७ भाग, मीठा कूट ८ भाग सबको कूट पीस छान कर शीशी में रख लो, इस चूर्ण को ३ से ६ माशे की मात्रा में दही, मठ्ठा या गरम पानी से साथ सेवन करने से अजीर्ण, मन्दाग्नि उदावर्त प्लीहा आदि समस्त रोग नष्ट होतें है, यह अर्श, वातविकार और निर्बलता नाशक है

कब्ज: (Constipation)
  • काबुली हरड़ के बक्कल का चूर्ण ६ माशे से १ तोला तक रात मको सोते समय गर्म दूध या गर्म जल के साथ लेने सेस सवेरे खुल कर दस्त साफ़ होता है
  • छोटी हरड़ और काला नमक समभाग मिलाकर चूर्ण बना लें. ६ माशे १ तोला चूर्ण गर्म जल के साथ लेने से एक-दो दस्त होकर पेट साफ़ होता है 
  • त्रिफला (बड़ी हरड़, आंवला, बेहरा तीनों समभाग) २ तोला थोड़ा कूट कर आधा सेर पानी में पकावें, आधा पाव पानी शेष रहने पर ढाई तोला रेड़ी का तेल (Castor Oil) मिलाकर पिने से कब्ज दूर हो जाता है रात को सोते समय ६ माशे से १ तोला तक त्रिफला चूर्ण खाकर ऊपर से पाव भर गर्म दूध या गर्म चाय या गर्म पानी पीने या गर्म दूध में ढाई तोला से ५ तोला तक Castor Oil मिलाकर पीने से पेट का शुष्क मल नरम होकर दो-तीन दस्त होकर पेट साफ़ हो जाता है पेट में ऐंठन मरोड़ नहीं होती है यदि त्रिफला चूर्ण घी और शहद (विषम भाग) के साथ रात को लिया जाय, तो पेट की सफाई के साथ नेत्र ज्योति भी बढती है
  • काली मिर्च को घी में भून कर फुला लें, फिर हरड़ के बराबर कला नमक मिलाकर चूर्ण बना लें, ३ से ६ माशे चूर्ण रात को सोते समय गर्म पानी के साथ सेवन करने से प्रातः खुलकर दस्त हो जाता हाई और आँतों को कोई क्षति नहीं होती है
  • असली हरड़ जुलाफा का चूर्ण डेढ़ सेर माशे शक्कर मिलाकर जल के साथ लेने से ३ घंटे बाद दस्त आने आरम्भ होंगे और ३-४ दस्त आकर पेट साफ़ हो जायेगा, कुछ खाते ही दस्त बंद हो जायेगा, दलिया, खिचड़ी आदि हल्का भोजन लें.
  • २५० ग्राम छोटी हरड़ को १२ घंटे पानी में भिगोये रखने के बाद छाया में सुखा लें, अरंडी का तेल गर्म कर इन हरड़ को भुनकर फुला लें और कूट पीस छान कर चूर्ण बना लें, २५ ग्राम भांग साफ़ कर २ घंटे पानी में भिगोये रखने के बाद उसे पानी डाल डाल कर मल मल कर तब तक धोयें जब तक साफ़ पानी न निकलने लेगे. उस धुली भांग को छाया में सुखाकर देशी घी में भूनकर चूर्ण बना लें, फिर उसमें +५० ग्राम काला नमक पीस कर हरड़ के चूर्ण में मिलाकर रख लें. उस चूर्ण को सायंकाल शौच जाने के आधा घंटा पूर्व ५ से १० ग्राम की मात्रा में शीतल जल के साथ सेवन करें. चूर्ण खाने के बाद पाखाना अवश्य जाना चाहिये. इस चूर्ण का प्रतिदिन सेवन करने से स्थायी कब्ज नष्ट होता है. 

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