हरड़ के सौ उपयोग भाग 07 (Hundred Uses of Myrobalan Part 07)
कफ रोग (Phlegm Disease)
प्रतिश्याय (जुकाम): (Cold)
- बड़ी हरड़ का छिलका और सौंठ आधा-आधा पाव, दोनों को कूट-पीस कपड़छान कर पाव भर गुड़ मिलाकर झड़बेरी बेर बराबर गोलियां बना लो. यदि गुड़ सुखा हो तो उसमें थोड़ा पानी डालकर गोलियां बनाओ. दो-दो गोली सुबह-शाम चाय या पानी के साथ लेने से जुकाम शीघ्र अच्छा हो जाता है
- हरड़ काबुली, हरड़ देशी, आंवला, मुनक्का, मगज, धनिया, गुलाब के फुल, गावजवां प्रत्येक ६-६ माशे, मगज पेठा और खसखस १-१ तोला, सबको महीन पीसकर महीन छेद की छलनी से छान लें और १ तोला बादाम का तेल म,मिलाकर आध सेर खांड की चाशनी में मिलाकर थाली में फैलाकर बर्फी जैसे टुकडे काट कर रख लें. नित्य प्रातः सायं १-+१ तोले की मात्रा में इस पाक का सेवन करने से बार-बार होने वाला जुकाम और नज़ला आदि कफ विकार नष्ट हो जाते है
Read more 👉 हरड़ के सौ उपयोग भाग 04
खांसी: (Cough)
- बड़ी हरडें, सौंठ, नागरमोथा समान भाग ले कूट-पीस कपड़छान चूर्ण बना लें. चूर्ण से दुगुना पुराना गुड़ भली भांति मिलाकर झड़बेरी बेर बराबर गोलियां बनाकर रख लें. नित्य एक-एक कर दिन में ५-६-७ गोलियां चूसने से हर प्रकार की प्रबल खांसी शीघ ही अच्छी हो जाती है
- छोटी हरड़, हल्दी, अजवायन, अकरकरा सभी समान भाग ले चने बराबर टुकड़े कर एक कटोरे में रख दें. फिर ५० बड़े बंगला पान लेकर उनके बीच में उक्त दवा भर कर उन पानों के ऊपर गेहूं के आटे या चिकनी मिट्टी का लेप चढ़ाकर गोला सा बना लें और इस गोले को कंडों की आग में पका लें. आटा या मिट्टी लाल हो जाने पर उसे हटा कर पान सहित सारी औषधि लोहे के इमामदस्ते में डालकर कूटें और महीन छेदों की छलनी से छान लें. मोटा अंश तवे पर सेंक कर फिर कुतें और छान लें. मोटे अंश को फिर तवे पर सेंक कर कूट-पीस छान लें. इस प्रकार कई बार सेंकते-कुटते छानते हुए चूर्ण बनाकर शीशी में सुरक्षित रख लें. १ माशे से ३ माशे तक दवा पान के रस या शहद और पान के रस के साथ नित्य तीन-चार बार सेवन करने से हर प्रकार की खांसी, जुकाम और श्वास में शीघ्र अच्छा लाभ होता है. परीक्षित गुणकारी दवा है. उदरशूल और उदरकृमि में भी यह दवा लाभप्रद है
- हरड़, आंवला और वायविडंग ४-४ तोला, शोथ १२ तोले, सबका महीन चूर्ण कर २४ तोले गुड़ की चाशनी में मिलाकर पाक जमा दें या मोदक बना लें. ३ से ६ माशे की मात्रा में प्रातः काल इस मणि-भद्र मोदक का सेवन करने से खांसी, क्षय, अर्श, कुष्ठ, भगंदर, प्लीहा, जलोदर नष्ट हो जाते है. पाक बल-वृद्धिकारक है
- हरड़, पीपल, सौंठ, कालीमिर्च का समान भाग चूर्ण कर, चूर्ण को दुगुने गुड़ की चाशनी में मिलाकर पाक जमा दें या मोदक बना लें. ३ माशे की मात्रा नित्य २-३ बार सेवन करने से खांसी नष्ट हो जाती है और जठराग्नि प्रदीप्त होती है
Read more 👉 हरड़ के सौ उपयोग भाग 05
श्वास (दमा): (Asthma)
- हरड़, बहेड़ा, आंवला और छोटी पीपल का समभाग चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से श्वास, कास तथा ज्वर में आशातीत लाभ होता है
- १ सेर भारंगी को ४ सेर पानी में औटा कर उसका चतुर्थांश क्वाथ बनाकर छान लो, फिर उस क्वाथ-जल में सवा सेर गुड़ डाल कर पकाओ. चाशनी बनते समय ही १ सेर हरड़ के बक्कल का चूर्ण मिला दो. शीतल होने पर इसमें ६ तोला शहद और सौंठ, मिर्च, पीपल, तज, पत्रज, नागकेशर १-१ तोला, जवाखार २ तोला का चूर्ण चाशनी में मिला दो. नित्य आधा तोला इस अवलेह का सेवन करने से श्वास, कास, क्षय, अर्श, गुल्म और उदर रोग दूर हो जाते है
Read more 👉 हरड़ के सौ उपयोग भाग 06
राजयक्ष्मा: (Tuberculosis)
- हरड़, बहेरा, आंवला, सौंठ, ,मिर्च, पीपल, बेर की गुठली की गिरी प्रत्येक ८-८ तोले, कपूर १ तोला, धान की खील ४८ तोले, इलायची, दाल-चीनी, तेजपात ४-४ तोले, बंशलोचन ३२ तोले और अमलवेत १६ तोले, इन सबका चूर्ण कर लें. पश्चात सबसे दुगुनी खांड की चाशनी में चूर्ण को मिलाकर पाक जमा दें या मोदक बना लें. एक से ढाई तोले की मात्रा में इस पाक का सेवन करने से राजयक्ष्मा, रक्तपित, वमन, खांसी और ज्वर नष्ट होते है यह पाक हृदय के लये हितकरी है
- भृगुहरीतकी - जड़, छाल, पत्तों समेत कटेरी का सर्वाग ४०० तोला, हरड़ १०० ले दोनों को एक पात्र में डाल कर १०२४ तोले जल में पकावें. पकते-पकते चतुर्थांश जल शेष रहने पर उतार कर क्वाथ को कपड़े से छान लें. फिर छने क्वाथ में पुर्वाक्त पकाई हुई हरड़ १०० नग और गुड़ ४०० तोले डालकर पकावें. जब भलीभांति पककर अवलेह के समान तैयार हो जाये तब उतार कर शीतल कर उसमें सौंठ, मिर्च, पीपल, इलायची, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर ४-४ तोले का चूर्ण और शहद २४ तोले मिला दें. शरीर के अग्निबलानुषर इस अवलेह का विधिपूर्वक सेवन करने से वातज, पित्तज, कफज, द्वंदज, त्रिदोषज, क्षतज. क्षयज, श्वास, पीनस और ग्यारह लक्षणों वाला महाभयंकर राजयक्ष्मा नष्ट होता है. यह भृगुऋषि की कथित "भृगुहरितकी" प्रख्यात रसायन है
Read more 👉 स्मरण शक्ति की कमजोरी
हृदय रोग: (Heart Disease)
- हरड़, वच, रास्ना, पीपल, सौंठ, कचूर, पीपरामूल समभाग का चूर्ण ३ माशे की मात्रा में मधु के साथ सवेरे-शाम खाने से हृदय रोग नष्ट होता है
- हरड़ की छाल, सौंठ, कचूर, कुटकी, पीपरामूल समभाग का जौकुट चूर्ण ढाई तोले, आधा सेर जल में पकाकर चतुर्थांश क्वाथ बनाकर १ तोला की डाल कर पीने से हृदय रोग दूर होता है
Read more 👉 कमर दर्द (Back Pain): कारण और इलाज
मूत्रकृछ व मूत्रदाह: (Neuresis and Disuria)
- छोटी हरड़, धमासा, अमलतास का गुदा, गोखरू, पाषाण भेद, सब समभाग का जौकुट चूर्ण दो-ढाई तोला, आध सेर जल में पकाकर चतुर्थांश क्वाथ बनाकर शहद के साथ पीने से मूत्र\दाह, मुत्रावरोध तथा वायु के अवरोध युक्त मूत्रकृच्छ दूर होता है

Read more 👉 स्नायु संस्थान (Nervous System)की कमजोरी
गुदा रोग (Anal Disease)
अर्श (बवासीर): (Hemorrhoids)
- हरड़ का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने से पित्त, कफ, कंडू और अर्श का नाश होता है
- घी में भुनी हरड़ को गुड़ और पीपल-चूर्ण के साथ खाने से मलावरोध दूर होता है और अर्श में लाभ होता है
- छोटी हरड़ ५ तोला कुकरौन्धा के पत्तों के रस में भिगो दें. प्रतिदिन पहले का रस निकाल कर ताजा रस डालते रहें. १५ दिन के बाद रस अलग कर हरड़ को धूप में सुखा लें. नित्य १-१ हरड़ खाने सी खुनी बादी दोनों प्रकार की बवासीर नष्ट हो जाती है.
- ८ तोला काला तिल हरड़ के क्वाथ में खूब खरल करें, इतना घोटें की तिलों का छिलका पिस कर क्वाथ में विलीन हो जाएं, इसे धूप में सुखा कर चूर्ण कर लें. इस चूर्ण में चित्रकमूल चूर्ण १ तोला, हरड़ चूर्ण २ तोला और गुड़ ३ तोला मिलाकर इसकी ५० मात्रा बनाएं. गरम जल के साथ सेवन करने से मल कड़ा नहीं पड़ता औरर प्रतिहारिणी सिरा का रक्त-संवहन व्यवस्थि होता है, जिससे गुद-नलिका के रक्त-स्रोतों का दबाव कम होता है. यह योग सगर्भा को ताज्य है
- १ सेर त्रिफला चूर्ण को ९ सेर गोमूत्र में पकायें, गाढ़ा होने पर उतार कर जंगली बेर बराबर गोलियां बनाकर रख लें. प्रातः सायं ४-४ गोली गोदुग्ध या गोमूत्र के साथ लेने से रक्तार्श, उदरशोथ, उदरवायु, कब्ज, आफरा, अजीर्ण आदि उदर रोग नष्ट होते है
- बड़ी हरड़ का छिलका, गुठली रहित आंवाला १०-१० तोला, रसौत ५ तोला, तीनो को कूट-पीस छान लें और स्वच्छ शीशी में सुरक्षित रख लें. ६-६ माशे की मात्रा में प्रातः सायं दूध या जल के साथ सेवन करने से हर प्रकार की बवासीर नष्ट हो जाती है. भोजन के बाद दोनों समय २-२ तोले अभ्यारिष्ट समान भाग पानी में मिलाकर लेना अधिक लाभप्रद है.
0 टिप्पणियाँ