आँवले के विभिन्न उपयोग भाग - 4
नाक रोग
नकसीर :-
- सूखे आँवले को घी में तलकर और पीसकर मस्तक पर लेप करने से नकसीर ठीक हो जाती है |
- आधी छ्टांग सूखे आँवलों को रात को सोते समय ८ गुने पानी में भिगोकर सुबह उसके जल में शहद मिलाकर पीने से नकसीर ठीक हो जाती है |
- ताजे आँवलों का रस सेवन करने से नकसीर फूटनी बंद हो जाती है |
पुराणी नकसीर :-
- जिन्हें नकसीर की शिकायत अकसर हो जाती है, उन्हें चाहिए की वो रोज सुबह ताजे आंवलें खाये या फिर उनका रस निकाल कर एक औंश की मात्र में सेवन करें, अथवा ताजे आंवलो के अभाव में आधी छ्टांग सूखे आँवलों को शाम को सोते समय ८ गुने पानी में भिगोकर सुबह उसका जल निथार लें और उसमें शहद मिलाकर पि जाएँ | ऐसा करने से उसकी नकसीर सदैव के लिए अच्छी हो जायेगी |
पीनस :-
- आंवला, हरड़, बहेड़ा और पीपर समभाग लेकर चूर्ण करें और २-३ माशा की मात्रा से उसे मधु के साथ रोज खायें तो पीनस रोग में आराम मिलता है |
दन्त रोग
पायरिया :-
- आँवलों को चबानें या उसे दांतों पर घिसने से पायरिया में लाभ होता है |
- आँवला स्वरस १ चम्मच व सरसों का तेल १ चम्मच मिलाकर दांतों व मसूड़ों को उसमें मांजे तो पायरिया से १५ दिन में आराम मिलता है |
बच्चों के कमजोर दांत :-
- यदि बच्चों के दांत टिक तौर से न निकलते हो कीड़े खाए हो तो उन्हें रोज ताजा आंवला खाने को देना चाहिए | इससे दांत के समस्त रोग दूर होकर वे मोती के समान चमकने लगेंगे |
स्कर्वी :-
- यह दांतों और मसूढ़ों का भयानक रोग है, जो पेट को बुरी तरह खराब कर देता है | इस रोग का इलाज ताजा आँवला है | क्यूंकि आंवलें में विटामिन 'सी' की प्रचुरता होती है | जो इस रोग को दूर करने की ख़ास दवा है |
दांत निकलने में कष्ट :-
- ताजे आँवलों का रस मसूड़ों पर मलने से बच्चों के दांत बोना कष्ट निकल जाते है |
अन्य रोग
श्वेत कुष्ठ :-
- आँवला, हरड़, बहेड़ा बराबर लेकर और चूर्ण करकर घी के साथ सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से श्वेत कुष्ठ या सफ़ेद दाग कुछ दिनों में मिट जाता है |
गलित कुष्ठ :-
- आँवला एयर नीम क पत्ते समभाग लेकर महीन चूर्ण करें | इस चूर्ण को २ माशे से १ तोला की मात्रा से नित्य प्रात:काल शहद के साथ चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ भी ठीक हो जाता है |
गठिया :-
- आँवले के ताजे रस में पुराना घी पका कार पीने से गठिया में लाभ होता है |
हृदय रोग :-
- आंवला का चूर्ण गाय के दूध के साथ सेवन करने से ह्रदय रोग मिटता है |
- ताजे आंवलो का रस दिन में ३ बार लेने से ह्रदय रोग दूर होता है |
- आँवलों का मुरब्बा खाकर दूध पीने से हार प्रकार का ह्रदय रोग दूर हो जाता है |
खांसी :-
- आँवले के थोड़े से चूर्ण को दूध में पकाकर और शुद्ध घी मिलाकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है |
मुख की गर्मी :-
- ताजे हरे आँवलों को चबाने से मुख की गर्मी शांत होती है |
हिचकी :-
- आँवला के ताजे रस और शहद में पिप्पली का चूर्ण मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है |
फेफड़ो की सुजन :-
- केवल ताजा आँवला खाने से १० से १५ दिनों में ही फेफड़ो की सुजन दूर हो जाती है |
क्षय का आरम्भ :-
- क्षय रोग के आरम्भ होते ही यदि रोज आँवलों का ६०-६० ग्राम रस दिन में ३ बार लेने लग जाए तो रोग जोर नहीं पकड़ने पाता है और कुछ ही दिनों के बाद रोग का चिन्ह भी मिट जाता है |
खुजली :-
- सूखे आँवलों का चूर्ण चमेली के तेल में मिलाकर लगाने से हर प्रकार की खुजली दूर हो जाती है |
खेसरा की तकलीफ :-
- आँवले का कल्क गरम करके खसरे की फुंसियों पर लेप करे तो खसरा की तकलीफ कम हो जाती है |
घाव :-
- आंवलें का गुदा पानी के योग से पीसकर उसकी पट्टी अदल-बदल कर बांधते रहें तो घाव अवश्य भर जाय | किसी कपड़े पर आँवलों का गुदा फैलाकर, पट्टी को केवल घाव पर बांधना चाहिए|
- आंवलो को छाछ में घिसकर घाव पर लगाने से वह भर जाता है |
- घाव को सूखे आँवलों के पानी से धोकर उसी की पट्टी उस पर बार-बार लगाने से घाव सूख जाता है |
त्रिदोष :-
- आँवलों का म,मुरब्बा खाने से त्रिदोष में लाभ होता है|
सब प्रकार का विष :-
- सांप का विष तथा अन्य विष आँवलों का रस पिलाने से शांत हो जाता है |
शरीर के तेज और मेघा की वृद्धि :-
- आँवलों के चूर्ण को घी के साथ नित्य प्रति सेवन करने से शरीर के तेज और मेघा की वृद्धि होती है |
ज्वर :-
- सुखा आँवला, चित्रक की जड़, हरड़, पीपल तथा सेंधा नमक के सम भाग चूर्ण से सब प्रकार का ज्वर दूर हो जाता है | आँवला के पत्तों का काढ़ा भी ज्वर को नाश करता है |
शराब अधिक पीने का दोष :-
- आँवलों के चूर्ण को चीनी य या खांड मिलाकर फाँकने से शराब पीने के दोष मिट जाते है |
सर्दी-जुकाम :-
- आँवले का चूर्ण पानी, घी या शहद के साथ रात्री में शयन से पहले सेवन करने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है |
मुहांसा :-
- १०० ग्राम सुखा आँवला लेकर रात को काँच के गिलास में भिगों दें | प्रात:काल उसे मसलकर छान लें, तत्पश्चात उसमें २५ ग्राम शुद्ध मधु मिलाकर रोज सेवन करें और मसले आँवलों को चहरे पर मलें तो मुहांसे साफ हो जाये |
रक्तचाप बढ़ना :-
- आंवलें के रस का रोज सेवन करने से उच्च रक्तचाप नार्मल हो जाता है |
मुख-पाक :-
- आँवला वृक्ष के जड़ की छाल को घिसकर और उसमें शहद मिलाकर लेप करने से मुख-पाक ठीक हो जाता है |
तुतलाहट :-
- सूखे आँवलों के चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर चाटने से कुछ दिनों में तुतलाहट का दोष दूर हो जाता है |
फ्लुरिसी :-
- आंवलें का रस सुबह शाम सेवन करने से फ्लुरिसी में लाभ होता है|
शोथ :-
- आंवलें का रस घी में मिलाकर पीने से पुराने से पुराना शोथ में भी आराम मिलता है |
काली खांसी :-
- १ चम्मच ताजे आँवले का रस एक चम्मच गरम पानी में मिलाकर दिन में ३ बार पिलाने से काली खांसी में एक सप्ताह में आराम मिलता है |
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