लहसुन और उसके चिकित्सय उपयोग भाग - 5 (Garlic and its Medicinal Uses Part-5)
लहसुन का तेल (Garlic Oil) - एक छटांक शुद्ध सरसों का तेल लेकर उसमें एक पूरी लहसुन की गांठ की कलियां छीलकर और काटकर डालें। फिर दोनों को गरम करें। जब गरम होते होते लहसुन की कलियाँ जल जाये और उनमें का सब रस तेल मीन उतर आये तो जली कलियों को छानकर फेंक दें और शेष तेल को शीशी में सुरक्षित रख लें और काम में लावें।
बच्चों का पसली चलने का रोग (Childhood Rib Disease) - लहसुन की कलियों को अलग-अलग करके छील डालें और उनकी मालाएं गूँथ लें और उन मालाओं को रोगी बच्चे के गले, हाथों और पैरों में पहना रखें तो बच्चों के पसली चलने का रोग जिसे हब्बा-डब्बा रोग भी कहते है ठीक हो जायेगा।
हिचकी (Hiccup) - यदि हिचकी आया रही हो और बंद न होती हो तो लहसुन का रस निकालकर दो बूंद रस नाक के नथुनों में टपकाने से वह बंद हो जाती है।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) - बढ़े हुए रक्तचाप को 'नार्मल' पर लाने के लिए एकपोतिया लहसुन की एक या दो गांठो की मधुमिश्रित चटनी दिन में एक बार भोजन के साथ खाना चाहिए, अथवा एकपोतिया लहसुन के पुरे हरे पौधे को कुचलकर और उसका रस निचोड़ कर तथा थोड़ा पानी मिलाकर सेवन करने से लाभ जल्दी होता है।
चेचक का घाव (Smallpox Wound) - लहसुन की कलियों को छीलकर पैरों पार लेप करने से चेचक से पीड़ित रोगी का चेचकजनित घाव भरकर ठीक हो जाता है।
अन्य प्रकार का घाव या जख्म (Other types of wounds and injuries) - किसी प्रकार का फोड़ा या जख्म हो पहले उसे लहसुन का रस मिले पानी से धोयें। उसके बाद लहसुन की कुछ कलियों को छीलकर पीस लें तत्पश्चात उसमें समभाग अच्छी वैसलीन मिलाकर फेंटे और उसकी पट्टी जख्म पार लगा दें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से जख्म भर जायगा।
कारबंकल (Carbuncle) - लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में जला लें जब लहसुन जल कर कोयला हो जाय तो उसे निकाल कर फेंक दें और तेल बचा रहे उसे कारबंकल का घाव ठीक हो जाता है।
खुजली (Itching) - शरीर पर कही भी और कैसी भी खुजली हो, वहां पर लहसुन का रस लगाने से वह ठीक हो जाती है। अगर खुजली तमाम बदन में फुट पड़ी हो और घाव हो गये हों तो घावों पर लहसुन का रस लगाने के साथ-साथ खैर क्ले काढ़े के साथ २-१ लहसुन की कलियां रोज खिलानी भी चाहिए।
आपरेशन योग्य घाव (operable wound) - कभी-कभी शरीर पर कहीं-कहीं ऐसे घाव हो जाते है जिनमे सडन आरंभ हो जाती है और वे अपने आसपास के तंतुओं को बड़ी तेजी से नष्ट करने लगते है जिसका एकमात्र इलाज डॉक्टर आपरेशन ही बताते है, परन्तु उस वक्त भी लहसुन का प्रयोग चमत्कारिक सिद्ध होता है।
क्षत (Injury) - यदि शरीर की चमड़ी पर कहीं क्षत तो और उससे पीब निकलती हो तो लहसुन के रस की पट्टी उस पर एक बार रोज लगाने से उस क्षत से कुछ ही दिनों में पीब आना बंद हो जाता है, दर्द होता हो तो वह भी दूर हो जाता है, और क्षत शीघ्र ही अच्छा भी हो जाता है।
अस्थि-क्षय (Bone Loss) - हड्डियों का क्षय यदि आरंभ हो गया हो तो लहसुन के रस को उसके वजन से चार गुने पानी में मिलाकर आक्रान्त स्थान को नित्य धोने से अस्थि-क्षय रुक जाता है और धीरे-धीरे अच्छा भगी हो जाता है।
गलित-कुष्ठ (Leprosy) - लहसुन की कलियों को सिल पर पीसकर और उसमें उसके बराबर के वजन का पिसा नमक मिलाकर गरम घी के साथ आधा तोला की मात्रा से प्रात: और सायं दोनो वक्त सेवन करें तो गलित कुष्ठ में लाभ होता है।
श्वेत कुष्ठ (white leprosy) - नौसादर और लहसुन को एक साथ पीसकर सफ़ेद दागों पर नियमित रूप से लगाने से वे कुछ ही दिनों में चमड़ी का स्वाभाविक रंग पकड़ लेते है।
कीड़ों वाले फोड़े (Muggets Byles) - जिन फोड़ों में कीड़े पद गये हों उन परे रोज लहसुन को पीसकर उसकी पट्टी बाँधिए, कीड़े साफ हो जायेंगे और फोड़ें मिट जायेंगें।
छूत के रोगों से बचाव (Protection from infectious diseases) - जब हैजा, ताऊन अथवा चेचक का रोग फैला हो तब अपने घर के प्रत्येक कमरे में और हर जगह लहसुन की कलियों को छीलकर बिखेर दें और हर तीसरे या चौथे दिन उन्हें नयी छिली कलियों से बदल दिया करें और पहले वाली कलियों को आग में जला दिया करें। साथ ही उन दिनों परिवार के प्रत्येक सदस्य को खाने के साथ रोज एक दो लहसुन की कच्ची कलियां खिलावें तो छूत के रोगों का असर नहीं होगा।
0 टिप्पणियाँ