लहसुन और उसके चिकित्सय उपयोग भाग - 6 (Garlic and its medicinal uses part-6)
प्रसुत ज्वर (Perioperative fever) - लहसुन के ७-८ बूदं रस को पानी में घोलकर ४-४ या ५-५ घंटे पर पिलाते रहने से प्रसुत-ज्वर में लाभ होता है।
बारी वाला ज्वर (Alternating Fever) - जिस दिन ज्वर आने की बारी हो उस दिन प्रात:काल रोगी को घी के साथ लहसुन की दो एक कलियाँ खिला देने से ज्वर का आना रुक जाता है। रोज भोजन करने से पहले तिल के तेल के साथ लहसुन का सेवन से भी बारी वाले ज्वर में लाभ होता है।
अजीर्ण (Indigestion) - लहसुन की छिली कलियों को सिल पर पीसकर और उसमें कागजी नींबू का रस और अंदाज से नमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।
संग्रीहणी (Collection) - लहसुन की छिली हुई कलियों को बराबर के नमक के साथ पीसकर और घी में तलकर आधा तोला की मात्रा से रोज प्रात: सायं खाने से संग्रीहणी, पेट का दर्द और मरोड़ आदि सब दूर हो जाते है।
बांझपन (Infertility) - दूध या घी के योग से लहसुन का नित्यप्रति प्रयोग करने से बाँझ स्त्री का बाँझपन दूर हो जाता है और वह संतान उत्पन्न करने के योग्य हो बन जाती है। इस प्रयोग से बच्चे वाली स्त्री के स्तन के दूध का दोष भी दूर हो जाता है, और यदि उसके स्तनों में दूध कम उत्पन्न होता हो तो वह भी बढ़ जायेगा।
आंतों की सुजन (Inflammation of the intestines) - लहसुन को पीसकर उससे पेडू की मालिश कीजिए। तत्पश्चात उस पर कुछ देर तक पट्टी बांध रखिये, आँतों की सुजन दूर हो जाएगी।
जलोदर (Ascites) - लहसुन का नियमित रूप से रोज सेवन करने से कुछ ही दिनों में जलोदर रोग अच्छा हो जाता है।
आंव पड़ना - कैसा भी नया-पुराना आँव पड़ा हो लहसुन के डेढ़ माशा रस को एक पाव मट्ठा में मिलाकर रोज सुबह, दोपहर व शाम को पीने से वह अवश्य ठीक हो जाता है।
कै की प्रव्रत्ति (Cai's tendency) - कै की प्रव्रत्ति हो पर कै न होती हो तो लहसुन की दो-तीन कच्छी कलियाँ चबा लें, कै की प्रव्रत्ति मिट जायेगी।
गर्भ न ठहरे (Do not get pregnant) - माहवारी समाप्ति के बाद यदि स्त्री लहसुन की कुछ कच्ची कलियाँ छीलकर निगल ले तो कदापि गर्भ न ठहरे।
मोच (Sprain) - लहसुन के रस में नमक मिलाकर मोच पर लगाने से मोच ठीक हो जाती है।
हड्डी का टूट जाना (Bone Fractures) - किसी प्रकार के आघात से या दुर्घटना से हड्डी टूट जाय तो रोगी को लहसुन की कलियों को पीसकर उसे दूध के साथ सेवन कराने से जल्दी लाभ होता है। टूटे हुए स्थान पार लहसुन को पीसकर, तेल में मिलाकर और उसे गरम करके बाँधना भी चाहिए।
कट जाना - छुरी आदि से यदि शरीर का कोई भाग कट जाय और खून बहने लगे तो उस कटे स्थान पार लहसुन का रस मलने से वह ठीक हो जाता है।
चोट और उसकी सुजन (Injury and Swelling) - यदि शरीर में कहीं चोट लग जाय और वह जगह सूज जाय तो लहसुन की छिली कलियों को हल्दी के साथ पीसकर और उसमें तेल मिलाकर चोट की जगह पर गरम करके बांध दीजिये चोट की सुजन और दर्द सब गयाब हो जायगी।
गले का काग बढ़ना (Growth of Throat) - लहसुन का रस बढे हुए काग पार लगाने से काग अपनी असली हालत में आ जाता है।
दिल की धड़कन में वृद्धि (increase in heart beat) - लहसुन के रस को पानी में मिलाकर पीने से दिल की बढ़ी हुई धड़कन में लाभ होता है।
नपुंसकता (Impotence) - लहसुन की कलियों का रस एक तोला और शुद्ध मधु एक तोला, दोनों को एक में मिलाकर सुबह-शाम चाटें, और इस योग का चमत्कार देखें। इससें नपुंसकता मिटती है और धातु-क्षीणता में भी लाभ होता है, साथ ही इससें वात रोगों में भी लाभ होता है।
माता के स्तनों में दूध की वृद्धि (Increase of milk in mother's breasts) - जो माताएं अपने शिशु के लिए अपने स्तनों में दूध की वृद्धि चाहती है उन्हें घी-दूध के साथ लहसुन अधिक सेवन करना चाहिए। इस रोग से अशुद्ध दूध भी शुद्ध हो जाता है।
बच्चों के पेट के कीड़े (Stomach Worms in Children) - जिन बच्चों की आँतों में कीड़े उत्पन्न हो जायं उनके गले में छिली हुई लहसुन की कलियों की माला पहना रखें। उनकी आंतें कीड़ों सें मुक्त हो जायंगी।
सांप से बचाव (Protection from Snakes) - यदि अआप के घर में या घर के आसपास सांप की उपस्थिति की आशंका हो तो लहसुन की कलियों को छीलकर वहां बिखरे दें, सांप होंगे तो भाग जायेंगे।
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